बचपन के रंज-ओ-ग़म में,
हर मोड़ उस जीवन में,
आती थीं मुश्किलों की छिट-पुट बौछारें,
बचकानी परेशानियों के तूफ़ान..
ये तूफ़ान जब उफान पे रहता था,
दिल जब बेचैन सा रहता था,
बाबूजी के स्वर से ठंडक पाता,
जब वो कहते..
"बेटा, मन चंगा तो कठौती में गंगा"..
सावन बीते जीते-जीते,
गुजरे पतझर पीते-पीते.
दुनिया की बेरुखी देखी,
परिस्थितियाँ विपरीत सी देखी.
भावों का जब भी भार हुआ,
दिल जब-जब बेज़ार हुआ,
उस शख्स का अक्स आँखों में उतरा,
और पियूष-वचनों के स्वर कानों में गूंजे..
"बेटा, मन चंगा तो कठौती में गंगा"..
आगे न जाने कितने दोराहे,
मेरे रस्ते पे मुह खोले खड़े हैं .
न जाने कितने कड़वे जीवन,
मेरा जीवन रोके खड़े हैं ..
न मार्ग सुगम है,न संग हमदम है..
पर उस वाक्य का दर्शन ,
जब भी रूह पे छाएगा,
जीवन सुगम बन जाएगा..
जीवन विशाल बन जाएगा..
"मन चंगा तो कठौती में गंगा"..
हर मोड़ उस जीवन में,
आती थीं मुश्किलों की छिट-पुट बौछारें,
बचकानी परेशानियों के तूफ़ान..
ये तूफ़ान जब उफान पे रहता था,
दिल जब बेचैन सा रहता था,
बाबूजी के स्वर से ठंडक पाता,
जब वो कहते..
"बेटा, मन चंगा तो कठौती में गंगा"..
सावन बीते जीते-जीते,
गुजरे पतझर पीते-पीते.
दुनिया की बेरुखी देखी,
परिस्थितियाँ विपरीत सी देखी.
भावों का जब भी भार हुआ,
दिल जब-जब बेज़ार हुआ,
उस शख्स का अक्स आँखों में उतरा,
और पियूष-वचनों के स्वर कानों में गूंजे..
"बेटा, मन चंगा तो कठौती में गंगा"..
आगे न जाने कितने दोराहे,
मेरे रस्ते पे मुह खोले खड़े हैं .
न जाने कितने कड़वे जीवन,
मेरा जीवन रोके खड़े हैं ..
न मार्ग सुगम है,न संग हमदम है..
पर उस वाक्य का दर्शन ,
जब भी रूह पे छाएगा,
जीवन सुगम बन जाएगा..
जीवन विशाल बन जाएगा..
"मन चंगा तो कठौती में गंगा"..
fir se bawaaal
ReplyDeleteBHAI tum BABAte ja rahe ho
ReplyDeletesui dhaaga ;)
Deletelike before , awesome!!
ReplyDeletereally awesome
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